काव्य पंक्तियो का भावार्थ अपने शब्दो मे लिखिए
(1)
इतनी शक्ति हमे देना दाता !
मनका विश्वास कमजोर होना;
हम चले नेक रास्ते पे हमसे
भूलकर भी कोई भूल होना .. इतनी
कवि कहते है, हे दाता (ईश्वर)! तू हमें इतनी शक्ति दे, ताकत दे कि तुझ पर मेरे मन का भरोसा कभी कम न हो। हम हमेशा अच्छाई और ईमानदारी के रास्ते पर ही चलें और भूलकर भी हमसे कोई गलती न हो।
(2)
हम अंधेरे मे है रोशनी दे,
खो न दे खुद को ही दुश्मनी से,
हम सजा पाए अपने किए की ,
मौत भी हो तो सह ले खुशी से,
कल जो गुजारा है फिर से न गुजरे,
आनेवाला वो कल एसा हो ना...
कवि कहते है, हे ईश्वर, हम अज्ञान के अँधेरे में हैं। तू हमें ज्ञान की रोशनी प्रदान कर । हम एक-दूसरे से दुश्मनी कर अपने आपको मिटा न डालें। अगर हम गलत काम करें तो हमें उसकी सजा मौत भी मिलें तो हम खुशी से उसे सह लें। कल जो बुरी घटनाएँ हुई हैं, वे फिर कभी न हो। आनेवाला कल बीते हुए कल जैसा बुरा न हो।
(3)
हर तरफ जुल्म है,बेबसी है,
सहमा सहमा सा हर आदमी है,
पाप का बोज बढ़ता ही जाये ,
जाने कैसे ये धरती थमी है?
कवि कहते है,आज हर तरफ अत्याचार हो रहे हैं। लोग उन्हें रोकने में असमर्थ हैं। हर आदमी डरा-डरा दिखाई देता है। पाप का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। पता नहीं, धरती यह सब कैसे सहन कर रही है।
(4)
कंप्यूटर की क्रान्ति आ गई
इन्टरनेट की परछाई
इधर उधर पर खुशियाली की
गंगा-यमुना लहराई
बच्चे नई सदी के बोले ,
दूनी अपनी शान की!
इस पंक्ति में कवि ने आधुनिक तकनीकी विकास और नई पीढ़ी के आत्मविश्वास का वर्णन किया है।कवि कहते हैं कि कंप्यूटर और इंटरनेट के आगमन से एक क्रांतिकारी बदलाव आया है। इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक-दूसरे से जोड़ दिया है, जिससे हर ओर खुशहाली का वातावरण बन गया है। यह परिवर्तन ऐसे है मानो गंगा-यमुना की पवित्र लहरें चारों ओर बह रही हों, जो सुख-समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।नई सदी के बच्चे, जो इस तकनीकी युग में पले-बढ़े हैं, वे आत्मविश्वास से भरपूर हैं और अपनी पहचान व प्रतिष्ठा को पहले से दोगुना ऊँचा उठाने का संकल्प कर रहे हैं।
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