1)
दुनिया साहसी लोगों के लिए है। कायर हमेशा सोचते रहते हैं और बैठे-बैठे सपना देखा करते हैं, पर साहसी विजयी हो जाते हैं। साहस के बिना योग्यता व्यर्थ है। आलसी आदमी तो मन के लड्डू ही खाते हैं। मगर जो कर्मवीर हैं, वे सफलता प्राप्त कर लेते हैं। कायर भय के सामने काँपने लगता है। साहसी का लहू भय को देखकर जोश से भर जाता है। साहस के बिना बड़ा डील-डौल किस काम का? दुनिया का इतिहास साहसी पुरुषों और स्त्रियों की कहानियों से भरा पड़ा है।
2)
एक बार राजा कृष्णदेवराय के महल में एक सेवक काँच का खूबसूरत मोर साफ कर रहा था। गलती से उसके हाथ से मोर गिरकर टूट गया। राजा को वह मोर बहुत प्रिय था। जब राजा महल में आए, उन्हें अपना प्रिय मोर दिखाई न दिया। पूछने पर पता चला कि वह टूट गया है। क्रोध में आकर उन्होंने सेवक को छ: महीने के लिए कारागार में डलवा दिया।
3)
नाटक देखकर राजा कृष्णदेवराय सोच में पड़ गए। तेनालीराम की चतुराई पर वे मन-ही-मन मुस्कुरा उठे। यह देखकर मंत्री असमंजस में पड़ गए। उसके बाद राजा कृष्णदेवराय बोले, "सचमुच तेनालीराम, तुमने ठीक कहा। आज मैं समझा कि न्याय करते समय राजा का मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए।"अगले ही दिन राजा ने उस सेवक को रिहा करवा दिया।
4)
एक बार अवन्ती के देश में तीन व्यापारी आए। राज दरबार में उन्होंने प्रार्थना की, कि उनके प्रश्नों के उत्तर दिए जाएँ। कोई भी दरबारी व्यापारियों के प्रश्नों के उत्तर नहीं दे सका। यहाँ तक कि राजा भी उलझन में पड़ गये। तब किसी ने कहा कि अवन्ती को बुलवाया जाए, वही इनके प्रश्नों के उत्तर दे सकता है। राजा ने अवन्ती को बुलाने की आज्ञा दी। हाथ में लाठी लिए हुए अपने गधे पर सवार अवन्ती दरबार में पहुँचा।
5)
कुछ नया करने की लगन और उत्साह हो तो लक्ष्य तक पहुँचने से कोई रोक नहीं सकता। बचपन से ही सितारों की सैर का सपना देखनेवाली कल्पना अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के बाद चाँद पर उतरना चाहती थी। बचपन से ही उसके मन में अंतरिक्ष यात्री बनने की धुन सवार थी। एक बातचीत में कल्पना ने कहा था, "मैं बचपन से जिस क्षेत्र में जाना चाहती थी, वहाँ पहुँचने के लिए मैंने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।"
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