Tuesday, 25 June 2024

कौआ और सियार

 कौआ और सियार

       एक बार की बात है, एक जंगल में एक काग और एक चालाक सियार रहते थे। काग बहुत ही भोला और दयालु था जबकि सियार बहुत ही चालाक और धूर्त था। 

       एक दिन सियार ने देखा कि काग के पास एक रोटी का टुकड़ा है। सियार ने सोचा, "अगर मैं चालाकी से काम लूँ, तो यह रोटी का टुकड़ा मेरा हो सकता है।" उसने काग के पास जाकर मीठी-मीठी बातें शुरू कर दीं।

       "ओह, काग भाई! आज तो आप बहुत ही सुंदर लग रहे हैं। आपका गाना तो और भी सुरीला है। अगर आप एक बार गाना गा देते तो मेरी दिन बन जाता," सियार ने कहा।

       काग ने सोचा कि सियार सही कह रहा है और उसने गाने की कोशिश की। जैसे ही काग ने गाने के लिए अपना मुँह खोला, उसके मुँह से रोटी का टुकड़ा गिर गया। सियार ने तुरंत रोटी उठाई और भाग गया।

       काग समझ गया कि सियार ने उसे धोखा दिया है। उसने मन में सोचा, "अब मैं सियार की मीठी बातों में कभी नहीं आऊंगा।"

      इस तरह, काग ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा कि चापलूसों की बातों में कभी नहीं आना चाहिए।

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