कबीर
साई इतना दीजिए, जामें कुटुम समाय।
मैं भी भूखा ना रहूाँ, साधु न भूखा जाय॥
हे प्रभु, मुझे बस इतना ही अन्न और धन दीजिए, जिससे मेरे परिवार का निर्वाह हो जाए। न मैं भूखा रहूँ और न कोई साधु – फकीर मेरे दरवाजे से भूखा लौटे।
હે પ્રભુ, મને ફક્ત એટલું જ અન્ન અને ધન આપજો, જેનાથી મારા કુટુંબનો નિર્વાહ થઈ શકે. હું ભૂખ્યો ન રહું અને કોઈ સાધુ-ફકીર મારા દરવાજેથી ભૂખ્યો પાછો ન ફરે.
बिना विचारे जो करे, सो पाछो पछताय।
काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हाँसाय॥
जो व्यक्ति बिना सोचे – समझे काम करता है, वह बाद में पछताता है। वह अपना काम तो बिगाड़ता ही है, दुनिया में उसकी हँसी उड़ाई जाती है।
જે વ્યક્તિ વિચાર્યા વગર કામ કરે છે, તે પાછળથી પસ્તાય છે. તે પોતાનું કામ તો બગાડે જ છે, દુનિયામાં તેની મજાક ઉડાવાય છે.
कबीरा खड़ा बाजार में, माँगे सब की ख़ैर।
ना काहु से दोसती, ना काहु से बैर ॥
कबीर कहते हैं कि मैं बाजार में (सबके सामने) खड़ा होकर भगवान से सबकी कुशलता माँगता हूँ – सबकी भलाई के लिए प्रार्थना करता हूँ। मेरी न किसीसे दोस्ती है और न किसीसे दुश्मनी।
કબીર કહે છે કે હું બજારમાં ઊભો રહીને ભગવાન પાસે સૌની કુશળતા ઇચ્છું છું – સૌની ભલાઈ માટે પ્રાર્થના કરું છું. મારે કોઈની સાથે મિત્રતા નથી કે કોઈની સાથે શત્રુતા નથી.
रहीम
रहिमन वे नर मर चुके, जे कहु माँगन जाही ।
उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहि॥
रहीम कहते हैं कि वे मनुष्य मरे हुए हैं जो कहीं (दूसरों के पास) माँगने जाते हैं। परंतु उनसे पहले वे लोग मर चुके हैं जो माँगनेवालों को देने से इनकार करते हैं।
રહીમ કહે છે કે જે ક્યાંય (બીજા પાસે) માગવા જાય છે, તે માણસો મરેલા છે. પરંતુ તેમનાથીય પહેલાં તે લોકો મૃત્યુ પામેલા છે, જેઓ માગનારને (કંઈ) આપવાની ના પાડે છે.
जो रहीम उत्तम प्रकृति का करी सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापत नही, लीपटे रहत भुजंग ॥
रहीम कहते हैं कि उत्तम स्वभाव के व्यक्ति पर बुरे लोगों की संगति का बुरा असर नहीं पड़ता। चंदन के वृक्ष पर साँप लिपटे रहते हैं, फिर भी चंदन में साँपों का विष नहीं फैलता।
રહીમ કહે છે કે ઉત્તમ સ્વભાવની વ્યક્તિ પર ખરાબ માણસોની સોબતની ખરાબ અસર પડતી નથી. ચંદનનાં વૃક્ષો પર સાપ વીંટળાયેલા રહે છે, છતાં પણ ચંદનમાં સાપોનું ઝેર ફેલાતું નથી.
बड़े बड़ाई ना करैं, बड़े न बोले बोल ।
रहीमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल ॥
रहीम कहते हैं कि बड़े लोग कभी (अपने मुख से) अपनी प्रशंसा नहीं करते। जो सचमुच बड़ा है, वह कभी बड़े बोल नहीं बोलता – बड़ी – बड़ी बातें नहीं करता। हीरा कभी नहीं कहता कि उसका मूल्य लाख रुपये हैं।
રહીમ કહે છે કે મોટા માણસો કદી (પોતાના મુખે) પોતાની પ્રશંસા કરતા નથી. જેઓ ખરેખર મોટા છે તેઓ કદી મોટાઈના બોલ બોલતા નથી. હીરો ક્યારેય કહેતો નથી કે તેનું મૂલ્ય લાખ રૂપિયા છે.
तुलसीदास
आवत
हिय हरषै नही , नैनन नही सनेह।
तुलसी वहा न जाइए, किंचन बरसे मेघ ॥
तुलसीदासजी कहते हैं कि जिस घर के लोगों का हृदय तुम्हें आया हुआ देखकर हर्षित न हो जाए और जिनकी आँखों में स्नेह की भावना न हो, उस घर में कभी मत जाओ, फिर भले ही वहाँ सोना ही क्यों न बरसता हो!
તુલસીદાસજી કહે છે કે તમને આવેલા જોઈને જે ઘરના લોકોના હૃદયમાં આનંદ ન થાય અને જેમની આંખોમાં સ્નેહની ભાવના ન ઝળકે તેમના ઘેર કદી જશો નહિ, પછી ભલે ત્યાં સોનાનો વરસાદ વરસતો હોય!
विद्या
धन उद्यम बिना, कहौ जु पावे कौन।
बिना डुलाये न मिले, ज्यौं पंखा को पौन ॥
बिना परिश्रम किए विद्या – धन किसने पाया हो? (हाथ से) हिलाए बिना तो पंखे की हवा भी नहीं मिलती।
પરિશ્રમ કર્યા વિના વિદ્યારૂપી ધન કોણ પ્રાપ્ત કરી શકે છે? (હાથ) હલાવ્યા વગર તો પંખાની હવા પણ મળતી નથી.
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अभ्यास
1. शिक्षक की सहायता से ‘दोहों’ का भावपूर्ण गान कीजिए|
મોબાઈલ દ્વારા દોહા નું શ્રવણ કરવું
2. निम्नलिखित शब्दों का अर्थ बताकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
उद्यम, प्रकृति,खैर,कुसंग,कंचन,जपमाला,दु:ख, भुजंग, हरषै
1) उद्यम – परिश्रम
वाक्य - उद्यम से ही सफलता मिलती है।
2) प्रकृति – स्वभाव
वाक्य - वह सरल प्रकृति का व्यक्ति है।
3) खैर – कुशलता
वाक्य -मैं आप सबकी खैर चाहता हूँ।
4) कुसंग – बुरी संगति
वाक्य - कुसंग करने से हमारा पतन होता है।
5) कंचन – सोना
वाक्य - सास ने बहू को कंचन के कंगन दिए।
6) जपमाला – जप करने की माला
वाक्य -दादीजी जपमाला लेकर मंदिर जाती है।
7) दुःख – गम,
वाक्य - किसी स्पर्धा में हारने पर दुःख होता है।
8) भुजंग – साँप
वाक्य - भुजंग को देखकर ही लोग डर जाते हैं।
9) हरषै – खुशी-
वाक्य - हमें देखकर जिनका मन हरषै उसीके घर जाना चाहिए।
3. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.यदि भगवान आपको कुछ माँगने के लिए कहे, तो आप क्या माँगना चाहेंगे?
उत्तर :यदि भगवान मुझे कुछ माँगने के लिए कहे तो मैं उनसे कहूँगा – प्रभु, मेरी बुद्धि इतनी तीव्र हो जाए कि कठिन विषय भी मुझे सरल लगे। आपकी कृपा से स्वस्थ शरीर और ऐसी तीक्ष्ण बुद्धि पाकर मैं व्यापार के क्षेत्र में अच्छा यश पाऊँ और अपने माता – पिता तथा अन्य स्वजनों को किसी तरह का दुःख न पहुँचने दूं। इतना ही नहीं, मैं समाज की सेवा करने में भी समर्थ बन सकूँ और अपने देश को भी कुछ लाभ पहुँचा सकूँ।इस प्रकार मैं भगवान से अपने परिवार, समाज और देश को सुखी बनाने की शक्ति और सामर्थ्य माँगूंगा।
प्रश्न 2.अच्छे व्यक्ति की संगति से आपको क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर :अच्छे व्यक्ति की संगति से मैं अपनी बुरी आदतें छोड़ सकूँगा। मेरा चरित्र अच्छा बनेगा। मेरे विचार अच्छे बनेंगे। मेरी बुद्धि अच्छी बनेगी। मैं समय का सदुपयोग करूँगा। दुर्व्यसनों में धन और शरीर की बरबादी होती है। अच्छे व्यक्ति की संगति मुझे इस बरबादी से बचाएगी।उससे मुझे अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी, सभी बाधाओं को दूर करने के उपाय मिलेंगे। जीवन में सुख – शांति से रहने का तरीका मिलेगा। इस प्रकार अच्छे व्यक्ति की संगति हर तरह से मेरे लिए वरदान सिद्ध होगी।
प्रश्न 3. लोग धर्म के नाम पर कौन – से आडम्बर करते हैं?
उत्तर :लोग धर्म के नाम पर दाढ़ी बढ़ाते हैं। सिर पर जटा – जूट रखते हैं। तरह – तरह के तिलक करते हैं। अलग – अलग तरह की मालाओं से जप करते हैं। गले में तरह – तरह की मालाएँ धारण करते हैं।धर्म के नाम पर लोग देव – देवियों के भोग के नाम पर तरह – तरह के व्यंजन बनाकर उनके सामने रखते हैं। भगवान पर सोने – चांदी के आभूषण चढ़ाते हैं। धर्म के नाम पर कहीं – कहीं पशुओं की बलि भी दी जाती है।इस प्रकार धर्म के नाम पर लोग अनेक प्रकार के आडम्बर करते हैं।
प्रश्न 4.लोग किन – किन कारणों से भीख माँगते हैं ?
उत्तर :कुछ लोग जीविका का कोई साधन न होने पर मजबूर होकर भीख माँगते हैं।कुछ लोग भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों में सब कुछ नष्ट हो जाने पर भीख माँगने लगते हैं।कुछ लोग अपाहिज हो जाने पर पेट भरने के लिए भीख माँगने लगते हैं।गुंडे – बदमाश लोग बच्चों का अपहरण कर उन्हें अपाहिज बना देते हैं, तब वे बच्चे उन दुष्टों के लिए भीख माँगते हैं।कुछ कामचोर और बेशर्म लोग मेहनत करने से बचने के लिए भीख को ही अपना व्यवसाय बना लेते हैं।
स्वाध्याय
1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.कबीर साँई से कितना माँगते हैं?
उत्तर :कबीर संग्रह करना उचित नहीं समझते। वे भगवान से उतना ही अन्न और धन माँगते हैं जितना उनके परिवार के निर्वाह के लिए आवश्यक है। उनके परिवार में कोई भूखा न रहे और दरवाजे पर आया हुआ कोई साधु – फकीर भी भूखा न जाए। कबीर इससे अधिक पाने की इच्छा नहीं करते।
प्रश्न 2.बिना सोचे कार्य करने से क्या होता है?
उत्तर :सोच – समझकर कार्य करना ही बुद्धिमानी है। बिना सोचे – समझे कार्य करने से कार्य बिगड़ जाता है। कार्य बिगड़ने से पछतावा होता है। इतना ही नहीं दुनिया में हँसी होती है। लोग तरह – तरह के ताने मारकर मजाक उड़ाते हैं। इस तरह बिना सोचे – समझे कार्य करनेवाले को उसका बुरा परिणाम भोगना पड़ता है।
प्रश्न 3.चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम क्या कहते हैं ?
उत्तर :रहीम मानते हैं कि उत्तम स्वभाववाला व्यक्ति बुरे लोगों के साथ रहे तो भी उनसे प्रभावित नहीं होता। चंदन के पेड़ पर साँप लिपटे रहते हैं, परंतु चंदन में उन साँपों का विष व्याप्त नहीं होता। साँपों के साथ रहकर भी चंदन उनके विष से अछूता ही रहता है।इस प्रकार चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम कहते हैं कि अगर व्यक्ति उत्तम कोटि का है तो वह संसार में रहकर यहाँ की बुराइयों से अलिप्त रहता है।
प्रश्न 4.रहीम बड़े लोगों की क्या विशेषता बताते हैं ?
उत्तर :रहीम कहते हैं कि बड़े लोग कभी अपने मुख से अपनी बड़ाई नहीं करते। वे कभी बड़े बोल नहीं बोलते। बड़ी – बड़ी बातें कर अपना बड़प्पन दिखाना उनके स्वभाव में नहीं होता। जैसे हीरा कीमती रत्न होता है, पर स्वयं अपनी कीमत नहीं बताता, उसी तरह बड़े लोग खुद कभी अपनी प्रशंसा नहीं करते।
प्रश्न 5.तुलसीदास किसके घर नहीं जाना चाहते?
उत्तर :तुलसीदास अपनेपन की भावना को बहुत महत्त्व देते हैं। वे कहते हैं कि जिस घर के लोग हमें आया हुआ देखकर हर्ष का अनुभव न करें, हमें देखकर जिनकी आँखों में स्नेह की चमक न पैदा हो, उस घर में भले सोना बरसता हो, फिर भी वे वहाँ जाना नहीं चाहते।
2. इस इकाई के दोहों में से आप कौन – से सद्गुण ग्रहण करेंगे?
उत्तर :इस इकाई में संत कबीर, कवि रहीम और संत तुलसीदास के दोहे दिए गए हैं। कबीर की सीख है कि हम आवश्यकता से अधिक पाने की इच्छा न रखें। जो भी काम करें, सोच – समझकर करें। अपने मुख से अपनी प्रशंसा करने से बचें। बिना स्वार्थ के सबका भला चाहें।रहीमजी सीख देते हैं कि हम दूसरों से कुछ भी न माँगें, अपने स्वभाव को हमेशा उत्तम बनाए रखें। तुलसीदासजी प्रेम को धन से अधिक महत्त्व देते हैं। वे विद्याधन पाने के लिए परिश्रम करना जरूरी समझते हैं।इस प्रकार इस इकाई के दोहों से हम दानप्रियता, संतोष, समानता, सत्संगति, विनम्रता, परिश्रम, प्रेमपूर्ण आतिथ्य आदि सद्गुण सीखते हैं।
3. निम्नलिखित जवाब मिले ऐसी पहेलियों का निर्माण कीजिए :
(1) तोता
(2) पतंग
(3) चिड़िया
उत्तर :
(1) तन है हरा, मुँह है लाल, पिंजरे में रखकर लो मुझे पाल। सबेरे बोलता हूँ नित्य राम – राम, खाता हूँ हरी मिर्च, अमरूद, आम। (तोता)
(2) पंख नहीं हैं, फिर भी मैं उड़ती, बस एक धागे से जमीन से जुड़ती, बातें खूब हवा से करती, कट जाए धागा, जमीन पर गिरती। (पतंग)
(3) ची ची करके शोर मचाती, सुबह होते ही, सबको उठाती। चहक – चहककर गाती गाने, फूदक – फूदककर चुगती दाने। (चिड़िया)
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