Sunday, 23 February 2025

कक्षा - 7- काव्यपंक्तिओ का भावार्थ

 H723 काव्य पंक्तियो को पढ़कर उनका भावार्थ बता सकते हे| 

नीचे दी गई काव्यपंक्तिओ का भावार्थ लिखिए |

(1) 

गगन पे चमके चंदा, मैं धरती पे चमकूँगी, 
धरती पर चमकूँगी, मैं उजियारा करूँगी….
                      बेटी हूँ मैं…

         बेटी कहती हे, जिस तरह आकाश में चाँद चमकता है, उसी तरह मैं धरती पर चमकूँगी और चारों ओर अपना प्रकाश फैलाऊँगी – चारों ओर मेरा यश फैलेगा।
(2) 

फूल जैसी सुंदर मैं बागों में खिलूँगी,
तितली बनूँगी मैं हवा को चूमूँगी, 
हवा को चूमूँगी, नाचूँगी, गाऊँगी, 
                      बेटी हूँ मैं…
       बेटी कहती हे, जिस तरह बाग में सुंदर फूल खिलते हैं, उसी तरह मैं दुनियारूपी बगीचे में खिलूँगी और अपने कार्यों से जीवन में सुगंध फैलाऊँगी। जिस तरह तितली हवा में उड़ती है, उसी तरह मैं भी प्रगति करके अपनी मंजिल पर पहुँच जाऊँगी। उस समय मेरा दिल नाच उठेगा और मैं खुश होकर गाने लग जाऊँगी।
(3) 
                               पढूँगी-लिखूँगी मैं मेहनत करूँगी, 
                               अपने पाँव चलकर मैं दुनिया को देखूँगी 
                               दुनिया को देखूँगी मैं दुनिया को समझूगी
                               बेटी हूँ मैं…
           बेटी कहती हे, मैं पढूंगी, लिलूँगी और मेहनत कर आगे बढ़ंगी। मैं आत्मनिर्भर बनूँगी। पढ़ लिखकर मैं दुनिया के व्यवहारों को देखुंगी और समझूगी।

(4) 
पृथ्वी के लाल तेरा हिमगिरि सा भाल, 
तेरी भृकुटी में तांडव का ताल है|
          हे पृथ्वी के पुत्र ,तेरे पास हिमालय जेसा उचे दर्जे का दिमाग हे| तू अगर क्रोध मे अपनी भोह तिरछी करदे तो उसका वही असर होगा जो शिव के तांडव की ताल मे होता है|

(5)
गुरु सा मतिमान, पवन सा तू गतिमान,
तेरी नभ से भी ऊँची उड़ान है रे |
     हे मनुष्य तुजामे महान गुरु जेसी बुद्धिमता है|तू पवन की तरह गतिशील है|तू आकाश से भी उचे पाहुचने की शक्ति रखता है|












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