પત્રક A આધારીત અધ્યયન નિષ્પતી કસોટી
ધોરણ 7 હિન્દી - દ્વિતીય સત્ર -કાવ્ય 5: ધરતી કી શાન
કુલ ગુણ: 10 સમય: 20 મિનિટ
અધ્યયન ક્ષમતા:
H703.01 गीत सुनकर एवं पढ़कर समझते हैं। (કાવ્ય પર આધારિત)
H712 'क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों और कैसे' वाले प्रश्नों के उत्तर देते हैं।
વિભાગ-A: H703.01 गीत सुनकर एवं पढ़कर समझते हैं। (4 ગુણ)
प्रश्न 1: निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
तू जो चाहे पर्वतों को फोड़ दे, तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे। तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे, तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड़ दे। अमर तेरे प्राण मिले हैं, शक्ति बड़ी महान है।
(1) कवि के अनुसार, मनुष्य में कौन-सी शक्ति है?
(क) पैसे की (ख) माटी को छूने की
(ग) नदियों के मुख को मोड़ने की (घ) डरने की
(2) मनुष्य के प्राण कैसे हैं?
(क) छोटे (ख) अमर
(ग) कमजोर (घ) साधारण
(3) इस काव्यांश का मुख्य भाव क्या है?
(क) पर्वत और नदियों का वर्णन
(ख) माटी का महत्व
(ग) मनुष्य की असीम शक्ति और क्षमता का गुणगान
(घ) धरती और आकाश का वर्णन
(4) मनुष्य माटी से क्या निचोड़ सकता है?
(क) पानी (ख) अमृत
(ग) विष (घ) तेल
વિભાગ-B: H712 'क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों और कैसे' वाले प्रश्नों के उत्तर देते हैं। (6 ગુણ)
प्रश्न 2: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 'क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों या कैसे' शब्दों का प्रयोग करते हुए लिखिए। (प्रत्येक 2 ગુણ)
(1) मनुष्य अपनी मुट्ठी में क्या बंद कर सकता है?
उत्तर:__________________________________________________
(2) कवि ने मनुष्य को किसकी संतान कहा है? (यानी मनुष्य कौन है?)
उत्तर:__________________________________________________
(3) मनुष्य अपने को कैसे जानता है?
उत्तर:__________________________________________________
ઉત્તરવહી (આપના સંદર્ભ માટે)
વિભાગ-A:
(1) कवि के अनुसार, मनुष्य में कौन-सी शक्ति है?
(ग) नदियों के मुख को मोड़ने की
(2) मनुष्य के प्राण कैसे हैं?
(ख) अमर
(3) इस काव्यांश का मुख्य भाव क्या है?
(ग) मनुष्य की असीम शक्ति और क्षमता का गुणगान
(4) मनुष्य माटी से क्या निचोड़ सकता है?
(ख) अमृत
વિભાગ-B:
(1) मनुष्य अपनी मुट्ठी में क्या बंद कर सकता है?
ઉત્તર: मनुष्य अपनी मुट्ठी में तूफ़ानों को बंद कर सकता है।
(2) कवि ने मनुष्य को किसकी संतान कहा है? (યાની મનુષ્ય કૌન હૈ?)
ઉત્તર: कवि ने मनुष्य को मनुज (मनु की) संतान कहा है।
(3) मनुष्य अपने को कैसे जानता है?
ઉત્તર: मनुष्य अपने को जानकर (अपनी शक्ति को पहचानकर) दुनिया को भी जान सकता है।

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