ધોરણ 8 હિન્દી - દ્વિતીય સત્ર -પાઠ 4: कर्मयोगी लालबहादुर शास्त्री
પત્રક A આધારીત અધ્યયન ક્ષમતા કસોટી
કુલ ગુણ: 15 સમય: 30 મિનિટ
અધ્યયન ક્ષમતા:
H835 छात्र मे श्राव्य या वाच्य सामग्री में से निर्हित मूल्यों (आदर, प्रकृति प्रेम, विश्वबंधुत्व की भावना, राष्ट्रप्रेम) विकसित होते है।
H807 परिच्छेद को पढ़कर समझना।
H816.02 परिचित विषय पर अपने विचार व्यक्त कर सकते है।
👉વિજયભાઈ આર ગોંડલીયા -સુરેન્દ્રનગર
વિભાગ-A: H835 छात्र मे श्राव्य या वाच्य सामग्री में से निर्हित मूल्यों (आदर, प्रकृति प्रेम, विश्वबंधुत्व की भावना, राष्ट्रप्रेम) विकसित होते है। (5 ગુણ)
प्रश्न 1: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए। (प्रत्येक 2.5 ગુણ)
(1) लालबहादुर शास्त्री को 'कर्मयोगी' क्यों कहा जाता है?
(2) लालबहादुर शास्त्री के जीवन से आप 'राष्ट्रप्रेम' और 'आदर' का कौन-सा मूल्य सीखते हैं?
વિભાગ-B: H807 परिच्छेद को पढ़कर समझना। (5 ગુણ)
प्रश्न 2: निम्नलिखित परिच्छेद को ध्यान से पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
शास्त्रीजी ने कभी भी पद और प्रतिष्ठा को अपने लिए साध्य नहीं माना। बल्कि वे उन साधनों के रूप में देखते थे, जिनका उपयोग वह जीवन को एक निश्चित दिशा देने में कर सकते थे। उनका सारा जीवन दर्शन 'कर्म' पर आधारित था। शास्त्रीजी का मानना था कि व्यक्ति जो भी कार्य करता है, उसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार होता है। यदि हम अपने काम को निष्काम भाव से, बिना किसी फल की आशा के, पूरी लगन और ईमानदारी से करते हैं, तो यही सच्ची सेवा है और यही कर्मयोग है। वे स्वयं भी एक निष्काम कर्मयोगी थे।
(1) शास्त्रीजी पद और प्रतिष्ठा को किस रूप में देखते थे? (2 ગુણ)
(2) शास्त्रीजी के अनुसार सच्ची सेवा और कर्मयोग क्या है? (3 ગુણ)
વિભાગ-C: H816.02 परिचित विषय पर अपने विचार व्यक्त कर सकते है। (5 ગુણ)
प्रश्न 3: कर्मयोगी लालबहादुर शास्त्री के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, 'हमारे जीवन में सादगी और ईमानदारी का महत्व' विषय पर अपने विचार 4-5 वाक्यों में व्यक्त कीजिए। (5 ગુણ)
ઉત્તરવહી (માર્ગદર્શિકા)
વિભાગ-A:
(1) लालबहादुर शास्त्री को 'कर्मयोगी' क्यों कहा जाता है? उत्तर: लालबहादुर शास्त्री को 'कर्मयोगी' इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे निष्काम कर्म में विश्वास रखते थे। उन्होंने बिना किसी फल की चिंता किए, पूरी लगन, ईमानदारी और समर्पण के साथ अपना सारा जीवन देश की सेवा में लगा दिया। उनके लिए 'कर्म' ही पूजा था।
(2) लालबहादुर शास्त्री के जीवन से आप 'राष्ट्रप्रेम' और 'आदर' का कौन-सा मूल्य सीखते हैं? उत्तर: हम सीखते हैं कि शास्त्रीजी ने राष्ट्रप्रेम के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी और देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। आदर का मूल्य यह है कि वे पद-प्रतिष्ठा को महत्व न देते हुए, सादगीपूर्ण जीवन जीते थे और सभी मनुष्यों के प्रति समान आदरभाव रखते थे।
વિભાગ-B:
(1) शास्त्रीजी पद और प्रतिष्ठा को किस रूप में देखते थे? उत्तर: शास्त्रीजी पद और प्रतिष्ठा को अपने लिए साध्य (लक्ष्य) नहीं मानते थे। बल्कि वे इन्हें उन साधनों के रूप में देखते थे, जिनका उपयोग वह जीवन को एक निश्चित और सही दिशा देने में कर सकते थे।
(2) शास्त्रीजी के अनुसार सच्ची सेवा और कर्मयोग क्या है? उत्तर: शास्त्रीजी के अनुसार, यदि हम अपने कार्य को निष्काम भाव से, बिना किसी फल (परिणाम) की आशा के, पूरी लगन और ईमानदारी से करते हैं, तो यही सच्ची सेवा है और यही कर्मयोग है।
વિભાગ-C:
प्रश्न 3: हमारे जीवन में सादगी और ईमानदारी का महत्व। (5 ગુણ)
उत्तर :
सादगी और ईमानदारी किसी भी व्यक्ति के चरित्र की आधारशिला हैं।
सादगी हमें संतोष सिखाती है और अनावश्यक दिखावे से दूर रखती है, जिससे हमारा जीवन तनावमुक्त रहता है।
ईमानदारी हमें समाज में विश्वास और सम्मान दिलाती है।
लालबहादुर शास्त्रीजी का जीवन हमें सिखाता है कि महान बनने के लिए साधन की नहीं, बल्कि सादगी और उच्च विचारों की आवश्यकता होती है।
ये दोनों गुण हमें राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक निभाने की प्रेरणा देते हैं।

No comments:
Post a Comment